PE Ratio in Share Market : समझें इसका गुणा-गणित

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what is PE Ratio in Share Market in Hindi : शेयर मार्केट के टर्म में आपने पीई अनुपात (P/E Ratio) के बारे में जरूर सुना होगा। अगर आप इसके बारे में पूरी डिटेल्स जानना चाहें तो हमारा यह लेख आपकी काफी मदद कर सकता है।

PE Ratio in Share Market

शेयर मार्केट में पीई अनुपात का मतलब (PE Ratio in Share Market)

P/E Ratio या फिर मूल्य-आय अनुपात (Price to Earnings Ratio) किसी कंपनी के शेयर की वर्तमान कीमत का उसकी प्रति शेय आय (EPS) के संबंध में अनुपात है। किसी भी कंपनी के पीई अनुपात (P/E Ratio) को समझने के लिए विश्लेषक और निवेशक उसकी अलग-अलग अवधियों की कमाई पर विचार कर सकते हैं। हालांकि अधिकतर मामले में यह अवधि कंपनी के पिछले 12 महीने/ एक साल की कमाई के आधार पर ली जाती है। इसे आय गुणक का मूल्य गुणक भी कहा जाता है।

मूल्य-से-आय अनुपात यानि PE Ratio in Share Market दुनिया भर में विश्लेषकों और निवेशकों द्वारा सबसे व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले मैट्रिक्स में से एक है। यह दर्शाता है कि एक निवेशक किसी कंपनी के एक शेयर में एक रुपये में कितना पैसा निवेश करने को तैयार है।

पी/ई अनुपात निकालने का फॉर्मूला (P/E Ratio Formula)

यदि आप किसी कंपनी का पीई अनुपात निकालना चाहें तो उसके लिए कंपनी के वर्तमान बाजार मूल्य (Current Market Price of a Share) और उसके पिछले 12 महीनों के प्रति शेयर आय (Earnings per Share) का अनुपात निकाल लें।

PE Ratio in Share Market

इसे उदाहरण से समझते हैं : एक कंपनी XYZ Ltd. जो मार्केट पर लिस्टेड है, यदि उसका वर्तमान शेयर प्राइस 250 रुपए चल रहा है या फिर पिछले दिन 250 रु. पर बंद हुआ है। आप जिस दिन भी यह अनुपात निकाल रहे हैं उस दिन से पिछले 12 महीनों में कंपनी की प्रति शेयर आय (EPS) 25 रु. है, तो कंपनी XYZ Ltd. का PE Ratio कुछ इस प्रकार होगा..

250 Rs./ 25 Rs. = 10

शेयर मार्केट में पीई अनुपात के प्रकार (Types of Price to Earnings Ratio)

पीई अनुपात मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं जिन पर निवेशक ध्यान देते हैं – ट्रेलिंग पीई अनुपात और फॉरवर्ड अनुपात। ये दोनों प्रकार के पीई अनुपात कमाई की प्रकृति पर निर्भर करते हैं। आइए इन दोनों को अलग-अलग समझते हैं,

ट्रेलिंग पीई अनुपात (Trailing P/E Ratio)

इस प्रकार का पीई अनुपात निवेशकों द्वारा सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला मैट्रिक है, जिसमें एक अवधि में किसी कंपनी की पिछली कमाई पर विचार किया जाता है। यह किसी कंपनी के प्रदर्शन का अधिक सटीक और ऑब्जेक्टिव व्यू प्रदान करता है।

फॉरवर्ड अनुपात (Forward P/E Ratio)

इस अनुपात की गणना किसी कंपनी के स्टॉक की एक इकाई की कीमतों और उसके भविष्य के कमाई मार्गदर्शन से प्राप्त कंपनी की अनुमानित कमाई को विभाजित करके की जाती है। किसी कंपनी से भविष्य में कैसा प्रदर्शन होने की उम्मीद है और उसकी अनुमानित विकास दर क्या है, इसका आकलन करने के लिए निवेशक अग्रिम मूल्य-से-आय अनुपात (Forward P/E Ratio) का उपयोग करते हैं। चूँकि ऐसा अनुपात किसी कंपनी की भविष्य की कमाई पर आधारित होता है, इसे एस्टिमेटेड पी/ई रेसिओ भी कहा जाता है।

अन्य प्रकार (other types)

किसी कंपनी के प्रदर्शन को निर्धारित करने में मदद करने के लिए शेयर मार्केट में पीई अनुपात (PE Ratio in Share Market) के दो और प्रकार शामिल हैं,

पूर्ण पीई अनुपात (Absolute P/E Ratio)

एक तरह से या यह ट्रेडिशनल पी/ई रेसिओ को संदर्भित करता है, जिसमें किसी कंपनी के मौजूदा स्टॉक वैल्यू को पिछली कमाई या भविष्य की कमाई से विभाजित किया जाता है।

सापेक्ष पीई अनुपात (Relative P/E Ratio)

सापेक्ष पी/ई अनुपात का उपयोग निवेशकों द्वारा यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि कोई कंपनी अपने पिछले अनुपातों या बेंचमार्क रेसिओ के संबंध में कितना अच्छा प्रदर्शन कर रही है। इसका मतलब यह हुआ कि यह अनुपात किसी कंपनी के पूर्ण अनुपात की तुलना में बेंचमार्क अनुपात या संबंधित कंपनियों की पिछली कीमत से आय के मुकाबले की जाती है।

उदाहरण से समझें तो, यदि किसी कंपनी का सापेक्ष पी/ई अनुपात बेंचमार्क पी/ई अनुपात से तुलना करने पर 90% है, तो इसका मतलब है कि कंपनी का पूर्ण अनुपात बेंचमार्क से कम है। इसके विपरीत, 100% से अधिक पी/ई वैल्यू का अर्थ है कि किसी व्यवसाय ने निर्दिष्ट अवधि के दौरान बेंचमार्क इंडेक्स परफॉर्मेंस से बेहतर प्रदर्शन किया है।

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पी/ई अनुपात की सीमाएं (Limitations of PE Ratio in Share Market)

किसी कंपनी के शेयरों का मूल्य अधिक है या कम है, इसका उचित अनुमान पी/ई अनुपात विश्लेषण के माध्यम से लगाया जा सकता है, फिर भी, इसमें कुछ कमियाँ होने की संभावना रहती है। पी/ई अनुपात की गणना किसी कंपनी की EPS वृद्धि दर पर विचार नहीं करती है, यही कारण है कि निवेशक यह तय करने के लिए पीई अनुपात या मूल्य से आय और विकास अनुपात का भी उपयोग करते हैं कि कौन सी कंपनी अधिक संभावना रखती है।

हर एक कंपनी की कमाई प्रत्येक तिमाही में जारी होती है और उसके स्टॉक की कीमतों में हर दिन उतार-चढ़ाव होता है। इसलिए, P/E Ratio लंबे समय तक कंपनी के प्रदर्शन से मेल नहीं खा सकता है, जिससे निवेशकों की ओर से त्रुटि की काफी गुंजाइश रह जाती है। निवेशक केवल उसके पी/ई अनुपात का विश्लेषण करके यह तय नहीं कर सकते कि तत्काल समय पर किस कंपनी में निवेश करना है या नहीं। उन्हें कई अन्य कारकों पर भी विचार करने की जरूरत होगी।

शेयर मार्केट में पीई अनुपात पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1) पी/ई अनुपात क्या है (what is PE ratio in Share Market) ?

उत्तर : मूल्य से आय अनुपात (पी/ई अनुपात) किसी स्टॉक के शेयर की कीमत और उसकी प्रति शेयर आय (EPS) का अनुपात है। सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले स्टॉक मूल्यांकन मैट्रिक्स में से एक पीई अनुपात यह दर्शाता है कि कोई स्टॉक मौजूदा बाजार मूल्य पर महंगा है या सस्ता।

2) एक अच्छे पीई अनुपात (Good P/E Ratio) को कैसे समझा जा सकता है ?

उत्तर : भारतीय बाजार में एक अच्छा पी/ई अनुपात हमेशा अपने आप में उच्च या निम्न अनुपात नहीं होता है। वर्तमान में एक औसत पी/ई अनुपात 20 और 25 के बीच माना गया है। इस वैल्यू के आधार पर किसी अधिक अनुपात को नकारात्मक और कम अनुपात को बेहतर माना जा सकता है।

3) पी/ई अनुपात और मूल्य निवेश के बीच संबंध क्या है (Relationship between P/E Ratio and Value Investing) ?

उत्तर : जो निवेशक शेयर बाजार में लेनदेन करते समय “मूल्य निवेश” के सिद्धांतों को अपनाते हैं, वे किसी कंपनी की वर्तमान बाजार कीमत के बजाय उसकी अंतर्निहित परिसंपत्तियों (underlying assets) के आंतरिक मूल्य पर विचार करते हैं। पी/ई अनुपात इस संबंध में उपयोग किए जाने वाले प्राथमिक मैट्रिक्स में से एक है, क्योंकि यह यह निर्धारित करने में मदद करता है कि कोई स्टॉक ओवरवैल्यूड है या अंडरवैल्यूड है।

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