GMP Kya Hota Hai | What is gmp in ipo in Hindi | यह काम कैसे करता है?

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GMP Kya Hota Hai: यदि आप शेयर मार्केट में रुचि रखते हैं तो आपने आईपीओ के क्षेत्र से जुड़े GMP टर्म को जरूर सुना होगा। GMP क्या होता है, इसकी जटिलताएँ, कैलकुलेशन और शेयर बाजार पर इसके प्रभाव आदि से जुड़े विषयों पर चर्चा करेंगे इस लेख में।

GMP क्या होता है

GMP यानि ग्रे मार्केट प्रीमियम (Gray Market Premium), एक ऐसा शब्द है जो वित्तीय बाजारों के गलियारों में अक्सर गूंजता रहता है खासकर तब, जब कोई नया आईपीओ जारी होता है। यह नए जारी किए गए स्टॉक के बाजार मूल्य और इसकी ऑफिसियल इनिसियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) कीमत के बीच अंतर को संदर्भित करता है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं कि GMP Kya Hota Hai लेकिन उससे पहले कुछ और जान लेते हैं।

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ग्रे मार्केट क्या है ? | What is gray market

किसी भी कंपनी के शेयर्स आधिकारिक तौर पर प्राइमरी और सेकेन्डरी मार्केट में ट्रेड किए जाते हैं। जहां IPO में जारी किए गए शेयर्स प्राइमरी मार्केट और स्टॉक एक्सचेंज में शेयर्स सेकेन्डरी मार्केट में ट्रेंड होते हैं। लेकिन इन दोनों ही मार्केट में ट्रेड होने से पहले शेयर्स का ट्रेड ग्रे मार्केट में किया जाता है। हालांकि यहाँ पर ग्रे टर्म अनाधिकारिक होता है। जहाँ प्राइमरी और सेकेन्डरी मार्केट का रेगुलेशन SEBI के हाथों में होता है वहीं ग्रे मार्केट को कोई भी रेगुलेट नहीं करता। यही कारण है कि इसे अवैध माना जाता है और इसमें विश्वसनीयता भी कम हो जाती है।

GMP Kya Hota Hai | What is gmp in ipo in Hindi

what is gray market premium: ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) वह कीमत है जिस पर किसी आईपीओ की लिस्टिंग से पहले एक अनौपचारिक/ अनियंत्रित ग्रे मार्केट में कारोबार किया जाता है। जीएमपी दर्शाता है कि लिस्टिंग के दिन किसी विशेष कंपनी का आईपीओ इश्यू कैसे प्रतिक्रिया दे सकता है। एक सकारात्मक जीएमपी प्रीमियम संकेत देता है कि आईपीओ लाभ में होने की संभावना है जबकि एक नकारात्मक जीएमपी इंगित करता है कि आईपीओ छूट पर होने की संभावना है।

इसे आसान भाषा में समझें तो- ग्रे मार्केट में शेयरों के अनौपचारिक बाजार मुल्य और कंपनी द्वारा IPO के दौरान निर्धारित इश्यू प्राइस (वह कीमत जिस पर कोई कंपनी अपना शेयर बेचने का फैसला करती है) के बीच अंतर होता है। उदाहरण के लिए, किसी कंपनी के आईपीओ का इश्यू प्राइस 100 रु. है और ग्रे मार्केट में उस कंपनी के शेयर 190 पर ट्रेड कर रहे हैं तो उस कंपनी का जीएमपी 90 रुपया और 90% का लाभ होगा।

GMP कैसे काम करता है ?

GMP क्या होता है ? यह तो जान लिया, आइये अब ये जानते हैं की ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) काम कैसे करता है,

  • जब भी किसी कंपनी का IPO लांच होता है तो उसमें रुचि रखने वाले निवेशक उस कंपनी के शेयर्स के लिए आवेदन करते हैं। इन निवेशकों को या तो कोई शेयर आवंटित नहीं किया जा सकता या फिर वे शेयर तो प्राप्त कर सकते हैं लेकिन शेयर जारी किए गए रेट से नीचे लिस्ट हो सकते हैं। उनका आवेदन रिस्क वाला होता है और ऐसे निवेशक सेलर्स (Sellers) कहे जाते हैं।
  • कई लोग ऐसे भी होते हैं जो यह मानते हैं कि शेयर का रेट उसके जारी रेट से अधिक है और वे अच्छी कीमत पर लिस्ट होंगे। इसलिए वे IPO Allotment होने से पहले ही डीलर्स से उन शेयर्स को खरीद खरीद लेते हैं। ऐसे निवेशक बायर्स (Buyers) कहे जाते हैं।
  • बायर्स, ग्रे मार्केट डीलर से संपर्क करके एक निर्धारित प्रीमियम पर IPO शेयर्स खरीदने का ऑर्डर देते हैं। इसके बाद डीलर सेलर्स से निश्चित प्रीमियम पर शेयर बेचने के लिए बायर्स के ऑफर के साथ संपर्क करता है।
  • यदि सेलर्स लिस्टिंग का रिस्क लेने के लिए तैयार नहीं है और उन्हें बायर्स के माध्यम से डीलर का प्रीमियम ऑफर पसंद होता है तो वे (Sellers), ग्रे मार्केट डीलर को IPO बेच देते हैं।
  • ऐसा होने पर डीलर, सेलर से एप्लिकेशन डिटेल्स लेता है और बायर को नोटिफिकेशन भेजता है कि उसने सेलर्स से एक निश्चित संख्या में शेयर लिए हैं।
  • अब अलॉट्मेंट कंप्लीट होने के बाद सेलर के पास अलॉट्मेंट जा भी सकता है और नहीं भी। यदि शेयर allotment नहीं होते तो बायर व सेलर के बीच सौदा रद्द हो जाता है।
  • और यदि निवेशक को शेयर अलॉट्मेंट हो जाते हैं तो बायर डीलर के माध्यम से सेलर को एक फिक्स प्राइस पर शेयर बेचने को कहता है। इसके अलावा डीलर किसी Demat Account में उन शेयर्स को ट्रांसफर भी कर सकता है।
  • अंत में शेयर्स बिक जाने के बाद, ग्रे मार्केट डीलर Sellers और Buyers के बीच सेटलमेंट कर देता है।

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ग्रे मार्केट प्रीमियम का कैलकुलेशन कैसे होता है ? | How to calculate GMP of IPO

GMP यानि ग्रे मार्केट प्रीमियम की गणना कैसे होती है इसके लिए ग्रे मार्केट प्रीमियम और ग्रे मार्केट प्राइस के बीच अंतर को समझना जरूरी है। जीएमपी इश्यू प्राइस के अतिरिक्त वह कीमत जिसे ट्रेडर देने को तैयार है वहीं ग्रे मार्केट प्राइस, वह कीमत जिस पर ग्रे मार्केट में किसी कंपनी के शेयर ट्रेड हो रहे हैं। ग्रे मार्केट प्रीमियम की गणना करने के लिए नीचे दिये गए सूत्र का इस्तेमाल किया जाता है।

GMP क्या होता है

किसी भी IPO की GMP, लिस्टिंग होने तक हमेशा बदलती रहती है और इसकी गणना मार्केट में शेयर के डिमांड पर निर्भर करती है। यदि मार्केट में शेयर की मांग ज्यादा है और उसकी सप्लाई कम है तो GMP हमेशा अधिक रहेगी और यदि शेयर की मांग कम है और सप्लाई अधिक तो GMP कम रहेगी।

    मार्केट पर प्रभाव

    GMP आइसोलेशन में मौजूद नहीं है, यह व्यापक रूप से शेयर बाज़ार से जुड़ा हुआ है। जीएमपी में परिवर्तन समग्र बाजार की गतिशीलता को प्रभावित कर सकता है, जिससे निवेशक के व्यवहार और बाजार के रुझान प्रभावित हो सकते हैं। किसी भी गंभीर निवेशक के लिए इस अंतर्संबंध को पहचानना जरूरी है। हालांकि उच्च जीएमपी वाले शेयरों में निवेश करना फायदेमंद हो सकता है, लेकिन इसमें जोखिम भी शामिल हैं। किसी भी निवेश की तरह, संबंधित जोखिमों और मुनाफ़ों को गहनता से समझना आवश्यक है।

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    FAQs on GMP Kya Hota Hai

    1) GMP क्या होता है ?

    उत्तर: ग्रे मार्केट प्रीमियम, ग्रे मार्केट में नए जारी किए गए स्टॉक के बाजार मूल्य और उसके आधिकारिक आईपीओ मूल्य के बीच का अंतर है।

    2) कोष्टक रेट क्या होता है ?

    उत्तर: कोष्टक रेट वह राशि है जो निवेशक आईपीओ की लिस्टिंग से पहले आईपीओ आवेदन के लिए भुगतान करता है, यदि कोई निवेशक IPO में आवेदन तो करता है लेकिन वह IPO में शेयर लेकर जोखिम नहीं उठाना चाहता तो वह अपने आवेदन को ग्रे मार्केट में कोष्टक रेट पर सेल करके लाभ कमा सकता है।

    3) निवेशक जीएमपी से जुड़े जोखिमों को कैसे कम कर सकते हैं?

    उत्तर: बाजार के रुझानों के बारे में सूचित रहना, पोर्टफोलियो में विविधता लाना और नियामक ढांचे को समझना, जोखिमों को कम करने की कुंजी हो सकती है।

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